किसी ने बहुत ही बड़े कमाल की बात कही है की - आसमान में उड़ने वाले पक्षी को भी पता होता है कि आसमान में कोई बैठने की जगह नहीं होती है।
Hi Guys, मेरा नाम है सन्नी। आज आप एक बहुत ही शानदार motivational story को पढ़ेंगे। यह कहानी सम्राट अशोक के जीवन पर आधारित है।
एक बार सम्राट अशोक अपने राज्य में घूमने के लिए निकले। घूमते-घूमते उन्हें एक भिक्षु दिखाई दिया और सम्राट अशोक उनके पास जाकर बैठ गया। सम्राट अशोक ने अपना सिर उस भिक्षु के चरणों में रख दिए। जैसे ही उन्होंने अपना सिर उस भिक्षु के चरणों में रखा तभी उनके वजीर और सैनिक को यह देखकर अच्छा नहीं लगा। ये सभी देखकर वजीर ने वहाँ पर सम्राट से कुछ भी नहीं कहा।
जब सम्राट अशोक और उनके सैनिक वापस आये तो वजीर ने सम्राट से कहा- महाराज, मैं आपसे नाराज हूँ। मुझे समझ नहीं आ रहा की इतना बड़ा सम्राट जिसकी तुलना नहीं की जा सकती वो एक छोटे से भिक्षु के चरणों में अपना सिर रखता/झुकाता है। मुझे ये कुछ अच्छा नहीं लगा। ये सभी सुनकर सम्राट अशोक ने उसे कुछ भी नहीं कहा। बस अपने वजीर के सवालों को सुनकर चुप रहे और मुस्कुराते रहे। एक दो महीने के बाद सम्राट अशोका ने अपने वजीर को बुलाया और कहा की -
मैं तुम्हें एक थैला दे रहा हूँ जिसमें कुछ सामान है। इस थैले के सारे सामान को बेचकर बाजार से तुम कुछ सामान खरीद कर ले आना। वजीर को पता नहीं था कि इस थैले में क्या है। बस उसने उस थैले को उठाया और निकल पड़ा। लेकिन कुछ दूर जाकर उसने उस थैले को खोलकर देखा तो उसमें चार प्रकार के सामान थे। ( भैंसे का सर, घोड़े का सर, बकरी का सर और आदमी का सर )। जब वजीर ने थैला को देखा तो उसे समझ नहीं आया की महाराज ये सब क्यों बेचवाना चाहते है।
वजीर थैला लेकर बाजार पहुँचता है और सामान को बेचने लगता है। जिसमें घोड़े का सर, भैंसे का सर और बकरी का सर बिक जाता है मगर आदमी का सर बच जाता है। उसे समझ नही आ रहा था कि ये आदमी का सिर क्यों नहीं बिक रहा है ? उसने सुबह से लेकर शाम तक बाजार में हर किसी को बोलता रहा इसे खरीद लीजिये खरीद लीजिये। लेकिन वह आदमी का सर नहीं बिका। शाम में वह बजीर वापस महल आ जाता है।
वजीर महल वापस लौट कर सम्राट से कहता है, हुजूर, बाकि सभी सिर बिक गए मगर आदमी का सिर नहीं बिक रहा है। तभी सम्राट अशोक ने मुस्कुरा कर वजीर से कहा- तुम कल इस आदमी के सिर को मुफ्त में किसी को दे देना, हमें बस यह थैला खाली चाहिए।
वजीर फिर से वापस बाजार जाकर उसने लोगों को कहने लगा, साहब ये फ्री का सिर मिल रहा है इसे ले जाओ। सभी ने एक ही बात वजीर को कहा- ये मुफ्त का आदमी का सिर लेकर मैं क्या करूँगा, किसी ने देख लिया तो हमें जेल के अंदर बंद करवा देगा। वजीर में इस आदमी के सिर को बेचने का बहुत प्रयास किया मगर किसी ने भी इस आदमी के सिर को नहीं ख़रीदा। फिर क्या था- वह वजीर वापस आकर सम्राट से माफी मांगता है।
सम्राट उस वजीर से कहते है- तुमने हमसे एकदिन एक सवाल किया था कि हुजूर आप अपने सिर को किसी भिक्षु के चरणो में झुकाते है हमें ये अच्छा नहीं लगता है। सम्राट ये भी कहते है- आदमी के सिर का कोई कीमत नहीं होता है। जब मै मर जाऊंगा तो क्या तुम हमारे सिर को बेच पाओगे। तभी वजीर कहता है-
नहीं हुजूर, तब तो हमे आपके शरीर को जलाना पड़ेगा। आदमी के सिर को मैं क्या कोई भी नहीं बेच पायेगा। इसकी कोई कीमत नहीं होती है। किसी को मुफ्त में भी दो तो नहीं लेगा।
यहाँ पर इस कहानी में सिर का मतलब अहंकार से है। अहंकार की कोई कीमत नहीं होती है। इसलिए हमनें आपसे पहले ही कहा है- आसमान में उड़ने वाले पक्षी को भी पता होता है कि आसमान में बैठने की कोई जगह नहीं होती है।
आप कभी भी अपने अहंकार के साथ मत जियो की हमारे जैसे कोई बुद्धिमान व्यक्ति इस संसार में नहीं है। मैं और तुम क्या हमसे से भी बड़ा बुद्धिमान व्यक्ति इस संसार में है।
आपको यह कहानी कैसा लगा नीचे कमेंट कर बताना न भूले। धन्यवाद ।
Hi Guys, मेरा नाम है सन्नी। आज आप एक बहुत ही शानदार motivational story को पढ़ेंगे। यह कहानी सम्राट अशोक के जीवन पर आधारित है।
सम्राट अशोक के जीवन की कहानी
एक बार सम्राट अशोक अपने राज्य में घूमने के लिए निकले। घूमते-घूमते उन्हें एक भिक्षु दिखाई दिया और सम्राट अशोक उनके पास जाकर बैठ गया। सम्राट अशोक ने अपना सिर उस भिक्षु के चरणों में रख दिए। जैसे ही उन्होंने अपना सिर उस भिक्षु के चरणों में रखा तभी उनके वजीर और सैनिक को यह देखकर अच्छा नहीं लगा। ये सभी देखकर वजीर ने वहाँ पर सम्राट से कुछ भी नहीं कहा।
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Motivational Story in Hindi |
जब सम्राट अशोक और उनके सैनिक वापस आये तो वजीर ने सम्राट से कहा- महाराज, मैं आपसे नाराज हूँ। मुझे समझ नहीं आ रहा की इतना बड़ा सम्राट जिसकी तुलना नहीं की जा सकती वो एक छोटे से भिक्षु के चरणों में अपना सिर रखता/झुकाता है। मुझे ये कुछ अच्छा नहीं लगा। ये सभी सुनकर सम्राट अशोक ने उसे कुछ भी नहीं कहा। बस अपने वजीर के सवालों को सुनकर चुप रहे और मुस्कुराते रहे। एक दो महीने के बाद सम्राट अशोका ने अपने वजीर को बुलाया और कहा की -
मैं तुम्हें एक थैला दे रहा हूँ जिसमें कुछ सामान है। इस थैले के सारे सामान को बेचकर बाजार से तुम कुछ सामान खरीद कर ले आना। वजीर को पता नहीं था कि इस थैले में क्या है। बस उसने उस थैले को उठाया और निकल पड़ा। लेकिन कुछ दूर जाकर उसने उस थैले को खोलकर देखा तो उसमें चार प्रकार के सामान थे। ( भैंसे का सर, घोड़े का सर, बकरी का सर और आदमी का सर )। जब वजीर ने थैला को देखा तो उसे समझ नहीं आया की महाराज ये सब क्यों बेचवाना चाहते है।
वजीर थैला लेकर बाजार पहुँचता है और सामान को बेचने लगता है। जिसमें घोड़े का सर, भैंसे का सर और बकरी का सर बिक जाता है मगर आदमी का सर बच जाता है। उसे समझ नही आ रहा था कि ये आदमी का सिर क्यों नहीं बिक रहा है ? उसने सुबह से लेकर शाम तक बाजार में हर किसी को बोलता रहा इसे खरीद लीजिये खरीद लीजिये। लेकिन वह आदमी का सर नहीं बिका। शाम में वह बजीर वापस महल आ जाता है।
वजीर महल वापस लौट कर सम्राट से कहता है, हुजूर, बाकि सभी सिर बिक गए मगर आदमी का सिर नहीं बिक रहा है। तभी सम्राट अशोक ने मुस्कुरा कर वजीर से कहा- तुम कल इस आदमी के सिर को मुफ्त में किसी को दे देना, हमें बस यह थैला खाली चाहिए।
वजीर फिर से वापस बाजार जाकर उसने लोगों को कहने लगा, साहब ये फ्री का सिर मिल रहा है इसे ले जाओ। सभी ने एक ही बात वजीर को कहा- ये मुफ्त का आदमी का सिर लेकर मैं क्या करूँगा, किसी ने देख लिया तो हमें जेल के अंदर बंद करवा देगा। वजीर में इस आदमी के सिर को बेचने का बहुत प्रयास किया मगर किसी ने भी इस आदमी के सिर को नहीं ख़रीदा। फिर क्या था- वह वजीर वापस आकर सम्राट से माफी मांगता है।
सम्राट उस वजीर से कहते है- तुमने हमसे एकदिन एक सवाल किया था कि हुजूर आप अपने सिर को किसी भिक्षु के चरणो में झुकाते है हमें ये अच्छा नहीं लगता है। सम्राट ये भी कहते है- आदमी के सिर का कोई कीमत नहीं होता है। जब मै मर जाऊंगा तो क्या तुम हमारे सिर को बेच पाओगे। तभी वजीर कहता है-
नहीं हुजूर, तब तो हमे आपके शरीर को जलाना पड़ेगा। आदमी के सिर को मैं क्या कोई भी नहीं बेच पायेगा। इसकी कोई कीमत नहीं होती है। किसी को मुफ्त में भी दो तो नहीं लेगा।
यहाँ पर इस कहानी में सिर का मतलब अहंकार से है। अहंकार की कोई कीमत नहीं होती है। इसलिए हमनें आपसे पहले ही कहा है- आसमान में उड़ने वाले पक्षी को भी पता होता है कि आसमान में बैठने की कोई जगह नहीं होती है।
आप कभी भी अपने अहंकार के साथ मत जियो की हमारे जैसे कोई बुद्धिमान व्यक्ति इस संसार में नहीं है। मैं और तुम क्या हमसे से भी बड़ा बुद्धिमान व्यक्ति इस संसार में है।
आपको यह कहानी कैसा लगा नीचे कमेंट कर बताना न भूले। धन्यवाद ।
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