
क्या आप इस प्रश्न का जबाब जानते है ? आपको ऐसा लगता है कि हाँ हम इस प्रश्न का जबाब जानते है तो आप इस पोस्ट को छोड़कर मत जाइये क्योंकि इसमें हमने आपके लिए बहुत ही ज्ञान की बातें लिखी है। इस आर्टिकल में हम आपको दुनिया के सबसे लंबे घास के बारे में पूरी जानकारी बताएँगे। घास के बारे में तो हर कोई जानता है लेकिन दुनिया के सबसे लंबे घास के बारे में कुछ ही लोग जानते होंगे। आइए इसके बारे में जानते है -
दुनिया का सबसे लंबा घास कौन-सा है ?
★★★ बाँस ( Bamboo ) ★★★
जी हाँ दोस्तों, दुनिया का सबसे लंबा घास बाँस है क्योंकि बाँस एक प्रकार का घास ही है। बाँस को इंग्लिश में बम्बू कहा जाता है। जैसा की आप जानते है बाँस का उपयोग कागज बनाने में किया जाता है। आपको बता दे की, बाँस एक प्रकार का घास ही है लेकिन भारतीय वन अधिनियम 1927 के तहत इसे एक वृक्ष के रूप में घोषित किया गया है। एक बाँस का जीवन काल 1 साल से लेकर 50 साल तक होता है।
बाँस के बारे में विशेष जानकारी :
बाँस ग्रेमिनाई कुल का एक उपयोगी घास है। यह भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में पाया जाता है। बाँस की कुछ मुख्य जातियाँ बैम्बूसा, डेंड्रोकैलेमस, आदि है। बैम्बूसा शब्द मराठी के एक लैटिन शब्द बम्बू से आया है। बाँस एक प्रकार का एकबीजपत्री पादप है। पृथ्वी पर सबसे तेज गति से बढ़ने वाला पौधा बाँस ही है। बाँस की कुछ ऐसी प्रजातियाँ है जो एक दिन में लगभग 121 सेंटीमीटर बढ़ता है। कभी कभी ऐसा होता है कि बाँस 1 मीटर प्रति घंटा की रफ्तार से भी बढ़ता है।
बाँस का तना लंबा, खोखला और शाखा सहित होता है। बाँस की जड़े रेशेदार होती है और इसकी पत्तियां मुलायम होती है। इतना ही नहीं बाँस का सबसे ऊपरी सिरा भाले के समान नुकीला होता है।
बाँस अपने पूरे जीवन काल में मात्र एक बार ही फूल ( पुष्प ) धारण करता है। बाँस का फूल सफेद रंग का होता है।
पश्चिम और दक्षिण एशिया का एक महत्वपूर्ण पौधा बाँस भी है। इसका प्रयोग घर बनाने के साथ साथ भोजन बनाने के लिए भी किया जाता है।
बाँस की खेती कर लखपति बन सकते है : कोई भी व्यक्ति बाँस की खेती कर लखपति बन सकता है क्योंकि इसे एकबार खेत में लगा देने के बाद यह 5 साल के बाद उपज देना शुरू कर देता है। जिस प्रकार अन्य फसलों में बारिश और गर्मी से कीड़े लगते है उस प्रकार बाँस में कोई भी कीड़ा नहीं लगता है। जिससे इसकी खेती करने में खर्च बहुत ही कम आता है। बाँस का पेड़ अन्य पेड़ों के मुकाबले 30 प्रतिशत से अधिक ऑक्सीजन छोड़ता है और कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करता है। जिस प्रकार से पीपल का पेड़ रात में कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करता है और ऑक्सीजन छोड़ता है उसी प्रकार बाँस का पेड़ भी रात में ऑक्सीजन छोड़ता है और कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करता है।
भारत में पाया जाने वाला बाँस का कुछ प्रकार निम्नलिखित है -
1. बैम्बूसा अरंडीनेसि : इस बाँस को विदुर बाँस कहा जाता है। यह भारत और वर्मा में अधिक पाया जाता है। इस बाँस की ऊँचाई 20 से 60 फुट ऊँची होती है साथ ही इसमें 30 से अधिक टहनियाँ भी होती है।
2. बैम्बूसा स्पायनोसा : इस प्रकार के बाँस काँटेदार होती है। इसे ही बिहार बाँस कहा जाता है। यह असम, बंगाल, वर्मा आदि जगहों पर घनी है।
3. बैम्बूसा टुल्ला : इस प्रकार के बाँस को पेका बाँस कहते है। यह बंगाल का मुख्य बाँस है।
4. बैम्बूसा वैलगरिस : इस प्रकार के बाँस पुरे भारत में पाया जाता है। इसी बाँस में हरी एवं पिली धारियाँ होती है।
बाँस की और भी प्रजातियाँ है जो लगभग लंबे-लंबे और मोटे होते है। बाँस की एक प्रजाति बैम्बूसा न्यूटैंट है 5 हजार से 7 हजार फुट की ऊंचाई पर पाई जाती है। जैसा की आप जानते है बाँस का सबसे उपयोगी भाग तना ही है।
बाँस का जीवन-काल लगभग 1 से 50 वर्षों तक होता है। ऐसा माना जाता है कि जब तक बाँस में फूल नहीं लग जाता तब तक वह बाँस बढ़ता रहता है। बाँस का फूल बहुत ही छोटा, रंगहीन और छोटे-छोटे गुच्छे में पाया जाता है। जैसा की हम जानते है बाँस का उपयोग कागज बनाने के लिए किया जाता है।
1. बैम्बूसा अरंडीनेसि : इस बाँस को विदुर बाँस कहा जाता है। यह भारत और वर्मा में अधिक पाया जाता है। इस बाँस की ऊँचाई 20 से 60 फुट ऊँची होती है साथ ही इसमें 30 से अधिक टहनियाँ भी होती है।
2. बैम्बूसा स्पायनोसा : इस प्रकार के बाँस काँटेदार होती है। इसे ही बिहार बाँस कहा जाता है। यह असम, बंगाल, वर्मा आदि जगहों पर घनी है।
3. बैम्बूसा टुल्ला : इस प्रकार के बाँस को पेका बाँस कहते है। यह बंगाल का मुख्य बाँस है।
4. बैम्बूसा वैलगरिस : इस प्रकार के बाँस पुरे भारत में पाया जाता है। इसी बाँस में हरी एवं पिली धारियाँ होती है।
बाँस की और भी प्रजातियाँ है जो लगभग लंबे-लंबे और मोटे होते है। बाँस की एक प्रजाति बैम्बूसा न्यूटैंट है 5 हजार से 7 हजार फुट की ऊंचाई पर पाई जाती है। जैसा की आप जानते है बाँस का सबसे उपयोगी भाग तना ही है।
बाँस का जीवन-काल लगभग 1 से 50 वर्षों तक होता है। ऐसा माना जाता है कि जब तक बाँस में फूल नहीं लग जाता तब तक वह बाँस बढ़ता रहता है। बाँस का फूल बहुत ही छोटा, रंगहीन और छोटे-छोटे गुच्छे में पाया जाता है। जैसा की हम जानते है बाँस का उपयोग कागज बनाने के लिए किया जाता है।
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