कबीर दास जी के मोटिवेशनल दोहे
बुरा जो देखन मै चला, बुरा न मिलिया कोय ! जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय !!
इस दोहे का अर्थ : जब मै इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला ! लेकिन, जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया की मुझसे बुरा कोई नहीं है !!
द्वितीय दोहे :
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ! माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय !!
तृतीय दोहे :
अति का भला न बोलना, अति की भली न चुप ! अति का भला न बरसना, अति की भली न धुप !!
इस दोहे का अर्थ : न तो अधिक बोलना अच्छा है और न ही जरुरत से ज्यादा चुप रहना ठीक है ! जैसे बहुत अधिक वर्षा और बहुत अधिक धुप अच्छी नहीं होती है !!
चतुर्थ दोहे :
जो उग्या जो अंतबै, फूल्या सो कमलाही ! जो चिनिया सो ढही पड़े, जो आया सो जाहीं !!
इस दोहे का अर्थ : इस संसार का नियम यही है की जो उदय हुआ है वह अस्त होगा, जो विकसित हुआ है वह मुरझा जाएगा ! जो चिना गया है वह गिर पड़ेगा और जो आया है वह जाएगा !!
पंचम दोहे :
संत ना छाडै संतई, जो कोटिक मिले असंत ! चंदन भुवंगा बैठिया, तऊ शीतलता न तजंत !!
इस दोहे का अर्थ : सज्जन को चाहे करोड़ो दुष्ट पुरुष मिलें फिर भी वह अपने भले स्वभाव को नहीं छोड़ता ! चंदन के पेड़ में साँप लिपटे रहते है, पर वह अपनी शीतलता नहीं छोड़ता है !!
षष्टम दोहे :
श्रम से ही सब कुछ होत है, बिन श्रम मिले कुछ नाही ! सीधे ऊँगली घी जमो, कबसू निकसे नाही !!
इस दोहे का अर्थ : जिस तरह जमे हुए घी को सीधी ऊँगली से निकालना असंभव है, उसी तरह बिना मेहनत के लक्ष्य को प्राप्त करना संभव नहीं है !! दोस्तों, मेहनत करते रहिए लक्ष्य हर हाल में मिलेगा !!
दोस्तों, हमने कबीर दास जी के 6 दोहे को ऊपर अर्थ सहित लिखा है ! ये सभी दोहे मोटिवेशन के लिए महत्वपूर्ण है ! मोटिवेशनल आर्टिकल के बीच इस मोटिवेशनल दोहे को समय निकालकर अवश्य पढ़े और शेयर भी करे ! कबीर दास जी के दोहे से हम सभी को बहुत कुछ सिखने को मिलता है !