मकड़ी आर्थ्रोपोडा संघ का एक प्राणी है। यह एक प्रकार का कीट है। इसका शरीर शिरोवक्ष (सिफेलोथोरेक्स) और उदर में बँटा रहता है। इसकी लगभग 40,000 प्रजातियों की पहचान हो चुकी है। इसका उदर खंड रहित होता है तथा उपांग नहीं लगे रहते हैं।
इसके सिरोवक्ष से चार जोड़े पैर लगे रहते हैं। इसमें श्वसन बुक-लंग्स द्वारा होता है। इसके पेट में एक थैली होती है जिससे एक प्रकार का चिपचिपा पदार्थ निकलता है, जिससे यह जाल बुनता है। यह मांसाहारी जन्तु है। जाल में कीड़े-मकोड़ों को फंसाकर खाता है |
मकड़ी के बारें में संपूर्ण जानकारी
एक प्रकार का प्रसिद्ध कीड़ा जिसकी सैकड़ों हजारों जातियाँ होती हैं और जो प्रायः सारे संसार में पाया जाता है | इसका शरीर दो भागों में विभक्त होता है । एक भाग में सिर और छाती तथा दूसरे भाग में पेट होता है । साधारणतः इसके आठ पैर और आठ आँखें होती हैं |
कुछ मकड़ियों को केवल छह, कुछ को चार और किसी किसी को किवल दो ही आँखों होती हैं । इनकी प्रत्येत टाँग में प्रायः सात जोड़ होते हैं |
कुछ जाति की मकड़ियाँ विषैली होती हैं और यदि उनके शरीर से निकलनेवाला तरल पदार्थ मनुष्य के शरीर से स्पर्श कर जाय, तो उस स्थान पर छोटे छोटे दाने निकल आते हैं जिनमें जलन होती है और जिनमें से पानी निकलता है |
कुछ मकड़ियाँ तो इतनी जहरीली होती हैं कि कभी कभी उनके काटने से मनुष्य की मृत्यु तक हो जाती है |
मकड़ी प्रायः घरों में रहती है और अपने उदर से एक प्रकार का तरल पदार्थ निकालकर उसके तार से घर के कोनों आदि में जाल बनाती है जिसे जाल या झाला कहते हैं । उसी जाल में यह मक्खियाँ तथा दूसरे छोटे छोटे कीड़े फँसाकर खाती है |
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